कॉलेज का वो पहला दिन कुछ याद है तुम्हे..
कुछ याद है मुझे।।
शूरू दिन सब थे अनजान
धीरे धीरे होने लगी दोस्तों से पहचान।।
कुछ चहरे अपने लगे तो कुछ पराय लगे।
किसी को देख कर दिल में एक अजीब सी हलचल मचने लगी
तो वही कैंटीन के किसी कोने में दोस्तों की महफ़िल जमने लगी।।
कभी किसी टीचर ने डांट दिया
पर बुरे वक़्त में हर टीचर ने हमारा साथ दिया।।
खाव्ब तो हमारे थे
पूरा करने में टीचर्स ही तो सहारे थे।।
होस्टल में मस्ती भरी वो रातें
चुप चुप कर मैगी बना कर हम खाते।।
नोट्स पुरे करने के लिए दुश्मन से भी कर लेते यारी
बस यही तो अब याद रह गई सारी।।
जन्मदिन की सुबह की वो दुःख भरी कहानी
जो अब रुलायगी सारे जिंदगानी।।
क्या याद है तुम्हे वो कॉलज के दिन
जहा आकर हमने ज़िन्दगी जीना सीखा
दोस्तों के लिए मरना सीखा
नहीं भूल पाओगे
वो कॉलेज का पहला दिन
और कॉलेज का आखरी दिन।।
ढूंढ रहा तुझे मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे में। इंसान ही इंसानियत को बेच रहा खुले बाज़ारो में।। अब लड़कियो की चीख सुनाई देती है तहखानों में। अब छोटी लडकिया परोसी जाती है मयखानों में।। यु सुने राहो में लडकिया अब निकलने से डरती है। जन्म लेने से पहले लड़कियां यु कोख़ में मरती है।। क्या हो गया है मेरे प्यारे भारत को क्या हो गया मेरे उस न्यारे भारत को। न है यहाँ लड़कियो की कद्र किसी को। जमाना बदल गया पर न यहाँ है सब्र किसी को।।
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