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Showing posts from September, 2016

वतन

दो गज की ज़मीं थी कफ़न था तिरंगा।। आँखों में नमी थी ,छाती था खून से रंगा।। हार जीत की न कोई वजह बाकि थी,न था कोई पंगा।। न बाकि था निपटाने के लिए कोई दंगा।। शहीद का साथ जुड़ा , मिल गया साहस का चमन। लौट के न आया फिर मैं, तो रूठ गया ये वतन।। खून बहा कर लिया जो पाकिसातनियो ने मज़ा।। आत्मा मेरी पूछ रही किस बात की मिली मुझे सजा।। न मैंने किसी का भाई मारा न किसी का बेटा।। फिर भी क्यों रो रहा फफक फफक कर मेरा बेटा।। मुझे कुछ नहीं एक जवाब चाहिए।। इस सोई हुई सरकार से एक हिसाब चाहिए।। कौन लौटायगा मेरे परिवार को बीते हुए कल ।। कौन संवरेगा मेरे परिवार का आने वाला कल।। मुझे कुछ नहीं मुझे इन्साफ चाहिए।। बस मेरी मौत का मुझे इन्साफ चाहिए।।अमित पटेल    

ये मेरे सनम

न कर खता ये मेरे सनम , तेरी आँखों में मैं खोया रहा।। जब जब तुझको मानना चाहा। मुझे याद वो सारे पल वो आये।। कहके अपना मुझे तूने सनम , बड़े अरमानो से मेरा दिल जो तोडा।। जैसे टूटे कांच के ताजमहल, वैसे मेरे सपने बिखर से गए।। थक हार के मैंने सब छोड़ दिया, फिर भी तेरे याद को न पाया।। जीने की वजह और मारने का गम , मुझे चाह की भी न तोड़ पाया।। आज भी यु रोटा हु,मैं सनम जब जब तेरी याद मुझे आती है।। क्या कहु तुझे ये मेरे सनम , यादो के ख्वाब में खोया हु। आ लौट के इ मेरे सनम तेरी यादो में खो सा गया।। खो सा गया खो सा गया।। .