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वतन

दो गज की ज़मीं थी कफ़न था तिरंगा।। आँखों में नमी थी ,छाती था खून से रंगा।। हार जीत की न कोई वजह बाकि थी,न था कोई पंगा।। न बाकि था निपटाने के लिए कोई दंगा।। शहीद का साथ जुड़ा , मिल गया साहस का चमन। लौट के न आया फिर मैं, तो रूठ गया ये वतन।। खून बहा कर लिया जो पाकिसातनियो ने मज़ा।। आत्मा मेरी पूछ रही किस बात की मिली मुझे सजा।। न मैंने किसी का भाई मारा न किसी का बेटा।। फिर भी क्यों रो रहा फफक फफक कर मेरा बेटा।। मुझे कुछ नहीं एक जवाब चाहिए।। इस सोई हुई सरकार से एक हिसाब चाहिए।। कौन लौटायगा मेरे परिवार को बीते हुए कल ।। कौन संवरेगा मेरे परिवार का आने वाला कल।। मुझे कुछ नहीं मुझे इन्साफ चाहिए।। बस मेरी मौत का मुझे इन्साफ चाहिए।।अमित पटेल    

ये मेरे सनम

न कर खता ये मेरे सनम , तेरी आँखों में मैं खोया रहा।। जब जब तुझको मानना चाहा। मुझे याद वो सारे पल वो आये।। कहके अपना मुझे तूने सनम , बड़े अरमानो से मेरा दिल जो तोडा।। जैसे टूटे कांच के ताजमहल, वैसे मेरे सपने बिखर से गए।। थक हार के मैंने सब छोड़ दिया, फिर भी तेरे याद को न पाया।। जीने की वजह और मारने का गम , मुझे चाह की भी न तोड़ पाया।। आज भी यु रोटा हु,मैं सनम जब जब तेरी याद मुझे आती है।। क्या कहु तुझे ये मेरे सनम , यादो के ख्वाब में खोया हु। आ लौट के इ मेरे सनम तेरी यादो में खो सा गया।। खो सा गया खो सा गया।। .    

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बिना तेरे माँ

तुझसे मिलकर मैं पहली बार हँसा बिना तेरे मैं मैंने सिखा रोने।। तूने मेरे खाव्बो को पंख दिए माँ बिना तेरे दुनिया ने दुःख क्या कम दिए मैं ही था एक नादाँन परिंदा बिना तेरे दुनिया में ख़ुशी ढूंढी थी।। आज भी पछताता हु  मैं अपनी उस गलती पे निकाल बहार किया जो तुझे किया घर से।। न पछताया न घबराया अपने उस फैसले से।। डर न लगा तुझसे दूर होने के फैसले से।। आज पछताता हु माँ जब भी तेरा चेहरा सामने आता है।। वो तबाही का मंजर मुझे हर वक़्त सताता है।। माफ़ करना माँ मुझे ,मेरे इस गलती के लिए गम में कटे तेरे उस पल के लिए।। शायद मेरे विचारो में कोई कमी थी।। बिना तेरे न मेरी ज़िन्दगी थी ,न है , न रहेगी।। 29/03/2016

चलने चले थे

चलने चले थे खाव्बो की दुनिया में मंजिल हमारा बसेरा था।। चारो तरफ एक अजीब सा अहसास था हर कोई उजाले की तलास में था।। न साथ दिया किसी ने फिर भी मैं आगे बढ़ा न रुका न थका।।। आई मुश्किल एक बार हँस दिया बिना तेरे मजिल भी बेकार है मेहनत बिना कठिनाई धूल सामान है भीड़ भरे इस संसार में। खाव्ब कही मेरे गुम से हो गए पागलो की तरह ढूंढ़ा आखिर में पता चला।। मंजिल तो कब की मिल चुकी बस अब न रुकना न थकना बस आगे बढ़ना है आगे बढ़ना है।।

Mera pyaara chhatisgarh

यहाँ मैनपाठ की वादिया है। तो जतमई की पहाड़िया है।। बड़े बड़े भैंसे है। तो कही फूलो के उद्यान है।। कभी अनोखे प्रवासी पंछियो का घर है। तो कही नागलोक में साँपो का बसेरा है।। यहाँ बस्तर का दसहरा है। तो वही लाइवलीहुड कॉलज में सुनहरे भविष्य का बसेरा है।। यहाँ माँ का दरबार है । तो कही छत्तीसगढ़ की शान युवाओ के सपनो का सँसार है।। यहाँ की वादियो में कही नक्सलियों की आहट है। तो कही दोस्ती की अनोखी मिसाल है।। यहाँ चक्रधर राजा की अनोखा घराना है। तो यहाँ अभी युवाओ का जमाना है।। यहाँ कुदरत की अनुरूप छठा है। तो काले हिरे से रायगढ़ पटा है।। यहाँ विवेकानंद जी का ज्ञान है। तो वही शहीद वीर नारायण सिंह हुए महान है।। कुछ अच्छे तो कुछ महान ऐसा है हमारा छत्तीसगढ़ महान।।

देश भक्ति

गिरा तिरंगा देख माँ से पूछा बेटा "माँ क्या मैं इसे उठा लू" "मेरे इस भारत की शान को सीने में छुपा लू" "इस देश की शान का अपमान नहीं होने दूंगा देश के इस दुसमन को चैन से न मैं सोने दू" बेटा के इस बात पर माँ को बड़ा आश्चर्य हुआ उसने कहा "बेटा इस तिरंगे का मोल क्या तुम जानते हो इसके हर रंग की कहानी क्या तुम जानते हो" बेटा बोला "माँ मैं अभी कुछ नहीं बस इतना जनता हु इस तिरंगे के खातिर मरे लाखो के खाव्ब को पहचानता हूँ" "मेरे लिए एक छोटा सा चाँद है हर याद में मेरे बसने वाला एक माँ का सम्मान है" बेटे की इस बात सुन कर माँ बोली "बेटा तेरे पापा ने तुझपे देश प्रेम का भाव देखा था शायद इसी लिए उन्होंने तुम्हे देशभक्ति की बाते करने सा न रोका था।" तभी वहां दूर खड़ा उनकी बाते सुन कर उसके हाथो में एक गुलाब देते बोलता है "रुला दिया तूने इस पागल इंसान को जो भूल गया था देश के प्रति इस सम्मान को।। हर इंसान को अपना फर्ज़ निभाना चाहिए। देश के सम्मान के लिए हर वक़्त सर झुकना चाहिए।। तेरी बातो ने म