Skip to main content

देश भक्ति

गिरा तिरंगा देख माँ से पूछा बेटा
"माँ क्या मैं इसे उठा लू"
"मेरे इस भारत की शान को सीने में छुपा लू"
"इस देश की शान का अपमान नहीं होने दूंगा
देश के इस दुसमन को चैन से न मैं सोने दू"

बेटा के इस बात पर माँ को बड़ा आश्चर्य हुआ
उसने कहा
"बेटा इस तिरंगे का मोल क्या तुम जानते हो
इसके हर रंग की कहानी क्या तुम जानते हो"

बेटा बोला
"माँ मैं अभी कुछ नहीं बस इतना जनता हु
इस तिरंगे के खातिर मरे लाखो के खाव्ब को पहचानता हूँ"
"मेरे लिए एक छोटा सा चाँद है
हर याद में मेरे बसने वाला एक माँ का सम्मान है"

बेटे की इस बात सुन कर माँ बोली
"बेटा तेरे पापा ने तुझपे देश प्रेम का भाव देखा था
शायद इसी लिए उन्होंने तुम्हे देशभक्ति की बाते करने सा न रोका था।"

तभी वहां दूर खड़ा
उनकी बाते सुन कर उसके हाथो में एक गुलाब देते बोलता है
"रुला दिया तूने इस पागल इंसान को
जो भूल गया था देश के प्रति इस सम्मान को।।

हर इंसान को अपना फर्ज़ निभाना चाहिए।
देश के सम्मान के लिए हर वक़्त सर झुकना चाहिए।।
तेरी बातो ने मेरी आँखे फिर से खोल दी
मरी हुए देशभक्ति तूने फिर जगा दिया।।।

इनकी बाते सुन कर वहा खड़े लोग सभी की आँखों में आँशु आ गए सभी तालिया बजाने लगे।

Comments

Popular posts from this blog

बचपन की यादें

घूमते घूमते याद आ गए मुझे बचपन के वो पल। आज की ही मस्ती होती थी,न चिंता थी खुदा जाने क्या होगा कल।। रोते थे तो सर पे होता था माँ का साया । बचपन में सब के लाडले होते थे,भले ही बड़े होने पर पैसो ने बना दिया उनको पराया।। ना  वक़्त की कमी थी;ना थी खाने की चिंता। अगर अच्छे संस्कार ना होते तो अभी इतना सूंदर भविष्य बनता।। सुबह की वो भागा दौड़ी , जब माँ हमें छोड़ आती आंगनबाड़ी। रोते थे वापस आके सोने के लिए मिलती माँ की फूलो से भरी आँचल वाली प्यारी से साड़ी।। याद आते है बचपन की वो पल जब खेला करते थे सबके साथ लुका छिपी। लूडो खेलते अपनी चाल के साथ की वो थोड़ी बईमानी।। बचपन की वो आज़ादी ,वापस अगर आ जाए तो कुर्बान कर दू उसपे सारी ज़िंदगानी।। याद आते है वो तलाब में नहाना । रात को किसी के भी घर पे खाना ।। याद आते है... मौसी की प्यारी सी फटकार। नानी की ढेर सारी दुलार।। मामा की गुस्सों का डर। चाचा को जो होती हमारी फिकर।। याद आ गया बचपन का वो यार । मस्ती से भरा बचपन का पिटारा।। अपनों का सहारा । बचपन की सारी मस्तियाँ। याद आ गया दोस्त के पैर में किया वो वो दर्दनाक

इंसानियत तू कहा गया

ढूंढ रहा तुझे मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे में। इंसान ही इंसानियत को बेच रहा खुले बाज़ारो में।। अब लड़कियो की चीख सुनाई देती है तहखानों में। अब छोटी लडकिया परोसी जाती है मयखानों में।। यु सुने राहो में लडकिया अब निकलने से डरती है। जन्म लेने से पहले लड़कियां यु कोख़ में मरती है।। क्या हो गया है मेरे प्यारे भारत को क्या हो गया मेरे उस न्यारे भारत को। न है यहाँ लड़कियो की कद्र किसी को। जमाना बदल गया पर न यहाँ है सब्र किसी को।।

तेरे प्यार में पागल

माना की मैं पागल था । हा तेरे प्यार में पागल था।। गलती थी मेरी इतनी की तेरी हर एक अदा का कायल था।। न सोचा था मुझे मिले तुमसे ज़िन्दगी भर का साथ। ना सोचा था की मेरे हाथो में हो तेरा हाथ। गलती तो बस इतनी हुई की बिना इज़ाज़त प्यार कर बैठा.। तेरी याद में सुबह शाम गुलजार कर बैठा।। खुदा न करे तेरे पे कोई आँच आए तेरे  को छुने से पहले मौत मेरे में शमा जाए। माना दुबारा हमारी मुलाकात होगी। मेरे न सही किसी और क साथ ज़िन्दगी भर तू साथ होगी।।