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तेरी मुस्कराहट

वो तेरी मुस्कराहट
वो तेरी नज़ाकत
न जाने कहा खो गई।
वक़्त के साथ क्यों तू मुझसे दूर हो गई।
तेरे हँसने का इन्तजार करना
तुझे खुद से ज्यादा बेइंतहा प्यार करना ।।
न होती है अब उन कोनों में कोई गुप्तगु।
लगता हमसे खुदा ने छीन ली हमसे रूह।
न है कही कोने में पड़े किताब।
न बाकि है टूटने के लिए खाव्ब।।
राह में जैसे अनजाने मुसाफिर ने साथ छोड़ दिया।।
क्या गलती हुई ये तो बता दे जो तूने मुझसे मुँह मोड़ लिया।

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