यहाँ मैनपाठ की वादिया है।
तो जतमई की पहाड़िया है।।
बड़े बड़े भैंसे है।
तो कही फूलो के उद्यान है।।
कभी अनोखे प्रवासी पंछियो का घर है।
तो कही नागलोक में साँपो का बसेरा है।।
यहाँ बस्तर का दसहरा है।
तो वही लाइवलीहुड कॉलज में सुनहरे भविष्य का बसेरा है।।
यहाँ माँ का दरबार है ।
तो कही छत्तीसगढ़ की शान युवाओ के सपनो का सँसार है।।
यहाँ की वादियो में कही नक्सलियों की आहट है।
तो कही दोस्ती की अनोखी मिसाल है।।
यहाँ चक्रधर राजा की अनोखा घराना है।
तो यहाँ अभी युवाओ का जमाना है।।
यहाँ कुदरत की अनुरूप छठा है।
तो काले हिरे से रायगढ़ पटा है।।
यहाँ विवेकानंद जी का ज्ञान है।
तो वही शहीद वीर नारायण सिंह हुए महान है।।
कुछ अच्छे तो कुछ महान
ऐसा है हमारा छत्तीसगढ़ महान।।
दो गज की ज़मीं थी कफ़न था तिरंगा।। आँखों में नमी थी ,छाती था खून से रंगा।। हार जीत की न कोई वजह बाकि थी,न था कोई पंगा।। न बाकि था निपटाने के लिए कोई दंगा।। शहीद का साथ जुड़ा , मिल गया साहस का चमन। लौट के न आया फिर मैं, तो रूठ गया ये वतन।। खून बहा कर लिया जो पाकिसातनियो ने मज़ा।। आत्मा मेरी पूछ रही किस बात की मिली मुझे सजा।। न मैंने किसी का भाई मारा न किसी का बेटा।। फिर भी क्यों रो रहा फफक फफक कर मेरा बेटा।। मुझे कुछ नहीं एक जवाब चाहिए।। इस सोई हुई सरकार से एक हिसाब चाहिए।। कौन लौटायगा मेरे परिवार को बीते हुए कल ।। कौन संवरेगा मेरे परिवार का आने वाला कल।। मुझे कुछ नहीं मुझे इन्साफ चाहिए।। बस मेरी मौत का मुझे इन्साफ चाहिए।।अमित पटेल
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