गर्व से कहो हम कवी है
पत्थर दिलो में कविता के रंग भरते
तन्हाई में अपने कलम के संग रहते ।।
बिना सोचे समझे कुछ भी लिख देते है
पर उन्ही शब्दों से किसी को खुश कर देते है।
न हारने की चिंता न खोने का डर
एक कलम ही तो है अपना ज़िन्दगी भर का हमसफ़र।।
यु तो ख्वाबो की दुनिया में खोए रहते है
यु यादो की दुनिया में डूबे रहते है
पर हम कवि है अपने शब्दों में दूसरे एक अहसास उनकी आस पिरोये रहते हैं।।
ढूंढ रहा तुझे मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे में। इंसान ही इंसानियत को बेच रहा खुले बाज़ारो में।। अब लड़कियो की चीख सुनाई देती है तहखानों में। अब छोटी लडकिया परोसी जाती है मयखानों में।। यु सुने राहो में लडकिया अब निकलने से डरती है। जन्म लेने से पहले लड़कियां यु कोख़ में मरती है।। क्या हो गया है मेरे प्यारे भारत को क्या हो गया मेरे उस न्यारे भारत को। न है यहाँ लड़कियो की कद्र किसी को। जमाना बदल गया पर न यहाँ है सब्र किसी को।।
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