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एक चक्र ज़िन्दगी

खुदा तेरे दिल में
भगवान् हमारे मन में
न जाने किसने खीच दी लकीर
मेरे प्यारे वतन में।

ख़ुशी की तलाश में शायद ही कोई जा रहा है
हर कोई दुःख मना रहा
जीवन के इस क्रूर चक्र में।

क्या खोया क्या पाया
जीवन में जो मिला वो एक दिन जरूर गवाया।
अब जीता सारा जहा।
जब संतोष रूपी सुख पाया।

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वतन

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