बारिश का मौसम है।
सुहाना हर पल है।।
चारो तरफ हरियाली है।
जगत में फैली खुशहाली है।।
फूलो में महक है।
पेड़ो में चिड़ियों की चहक है ।।
ये मौसम भी अजीब सा सुहाना है।
हेर कोई बारिश का दीवाना है।।
चाय के चुस्की के साथ हर के चेहरे पे हँसी।
यही तो है बरसात की ख़ुशी।।
बारिश किसी को हँसी तो किसी को गम दिलाती है।
पर हर बारिश ज़िन्दगी का एक नया रूप दिखा जाती है।।
ढूंढ रहा तुझे मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे में। इंसान ही इंसानियत को बेच रहा खुले बाज़ारो में।। अब लड़कियो की चीख सुनाई देती है तहखानों में। अब छोटी लडकिया परोसी जाती है मयखानों में।। यु सुने राहो में लडकिया अब निकलने से डरती है। जन्म लेने से पहले लड़कियां यु कोख़ में मरती है।। क्या हो गया है मेरे प्यारे भारत को क्या हो गया मेरे उस न्यारे भारत को। न है यहाँ लड़कियो की कद्र किसी को। जमाना बदल गया पर न यहाँ है सब्र किसी को।।
Comments
Post a Comment