Skip to main content

Posts

Showing posts from January, 2016

Mera pyaara chhatisgarh

यहाँ मैनपाठ की वादिया है। तो जतमई की पहाड़िया है।। बड़े बड़े भैंसे है। तो कही फूलो के उद्यान है।। कभी अनोखे प्रवासी पंछियो का घर है। तो कही नागलोक में साँपो का बसेरा है।। यहाँ बस्तर का दसहरा है। तो वही लाइवलीहुड कॉलज में सुनहरे भविष्य का बसेरा है।। यहाँ माँ का दरबार है । तो कही छत्तीसगढ़ की शान युवाओ के सपनो का सँसार है।। यहाँ की वादियो में कही नक्सलियों की आहट है। तो कही दोस्ती की अनोखी मिसाल है।। यहाँ चक्रधर राजा की अनोखा घराना है। तो यहाँ अभी युवाओ का जमाना है।। यहाँ कुदरत की अनुरूप छठा है। तो काले हिरे से रायगढ़ पटा है।। यहाँ विवेकानंद जी का ज्ञान है। तो वही शहीद वीर नारायण सिंह हुए महान है।। कुछ अच्छे तो कुछ महान ऐसा है हमारा छत्तीसगढ़ महान।।

देश भक्ति

गिरा तिरंगा देख माँ से पूछा बेटा "माँ क्या मैं इसे उठा लू" "मेरे इस भारत की शान को सीने में छुपा लू" "इस देश की शान का अपमान नहीं होने दूंगा देश के इस दुसमन को चैन से न मैं सोने दू" बेटा के इस बात पर माँ को बड़ा आश्चर्य हुआ उसने कहा "बेटा इस तिरंगे का मोल क्या तुम जानते हो इसके हर रंग की कहानी क्या तुम जानते हो" बेटा बोला "माँ मैं अभी कुछ नहीं बस इतना जनता हु इस तिरंगे के खातिर मरे लाखो के खाव्ब को पहचानता हूँ" "मेरे लिए एक छोटा सा चाँद है हर याद में मेरे बसने वाला एक माँ का सम्मान है" बेटे की इस बात सुन कर माँ बोली "बेटा तेरे पापा ने तुझपे देश प्रेम का भाव देखा था शायद इसी लिए उन्होंने तुम्हे देशभक्ति की बाते करने सा न रोका था।" तभी वहां दूर खड़ा उनकी बाते सुन कर उसके हाथो में एक गुलाब देते बोलता है "रुला दिया तूने इस पागल इंसान को जो भूल गया था देश के प्रति इस सम्मान को।। हर इंसान को अपना फर्ज़ निभाना चाहिए। देश के सम्मान के लिए हर वक़्त सर झुकना चाहिए।। तेरी बातो ने म

एक चक्र ज़िन्दगी

खुदा तेरे दिल में भगवान् हमारे मन में न जाने किसने खीच दी लकीर मेरे प्यारे वतन में। ख़ुशी की तलाश में शायद ही कोई जा रहा है हर कोई दुःख मना रहा जीवन के इस क्रूर चक्र में। क्या खोया क्या पाया जीवन में जो मिला वो एक दिन जरूर गवाया। अब जीता सारा जहा। जब संतोष रूपी सुख पाया।

तेरी मुस्कराहट

वो तेरी मुस्कराहट वो तेरी नज़ाकत न जाने कहा खो गई। वक़्त के साथ क्यों तू मुझसे दूर हो गई। तेरे हँसने का इन्तजार करना तुझे खुद से ज्यादा बेइंतहा प्यार करना ।। न होती है अब उन कोनों में कोई गुप्तगु। लगता हमसे खुदा ने छीन ली हमसे रूह। न है कही कोने में पड़े किताब। न बाकि है टूटने के लिए खाव्ब।। राह में जैसे अनजाने मुसाफिर ने साथ छोड़ दिया।। क्या गलती हुई ये तो बता दे जो तूने मुझसे मुँह मोड़ लिया।

हम कवि है

गर्व से कहो हम कवी है पत्थर दिलो में कविता के रंग भरते तन्हाई में अपने कलम के संग रहते ।। बिना सोचे समझे कुछ भी लिख देते है पर उन्ही शब्दों से किसी को खुश कर देते है। न हारने की चिंता न खोने का डर एक कलम ही तो है अपना ज़िन्दगी भर का हमसफ़र।। यु तो ख्वाबो की दुनिया में खोए रहते है यु यादो की दुनिया में डूबे रहते है पर हम कवि है अपने शब्दों में दूसरे एक अहसास उनकी आस पिरोये रहते हैं।।

तुम अनजान हो

तुम उसे सताते हो कोई उसे मनाता है ।। तुम उसे रुलाते हो कोई उसे हँसता।। तुम्हे उसे जलना अच्छा लगता है किसी को उसे हँसना अच्छा लगता। तुम्हे उसकी मोह्ह्बत की कद्र नहीं किसी को उसे रोते हुए देखने का सब्र नहीं। वक़्त बे वक़्त वो तुम्हारे लिए रोती है तुम्हे हँसता देखने की दुआ करती है और तुम्हे उसकी फ़िक्र नहीं एक दिन छीन जायगी तुमसे तुहारी मोह्ह्बत तब न कहना मेरे दोस्त वो बेवफा थी वो दगेबाज़ थी वो तुम्ही थे जो उसको हँसा न सके।। तुम उसके लायक नहीं थे जो तुम उसे अपना न बना सके।।