मुझे पैदा होना है।
पाप की गोदी में सोना है।।
तेरे बाहो तले रोना है।।
वक़्त के साथ चलना और समय में खोना है।।
जो मिल जाय उसी में खुस रहना है।।
माँ मुझे एक मौका दो।।
मुझे पैदा होना है।।
चाचा की प्यारी रानी बनना है।
दादा दादी से कहानी सुनना है।।
मुझे भी मिटटी के खिलौने से खेलना है।
पापा के लिए कुछ बन के दिखाना है।।
माँ मुझे मेरा अधिकार दो
मुझे भी पैदा होना है।।।
अपने ज़िद पूरा करने के लिए रोना है।
अपने हक़ के लिए मुझे भी लड़ना है।।
माँ लड़की हु तो क्या हुआ मुझे भी पैदा होना है।।
तेरे ये आँशु मुझे तेरा ऊपर हुए जुल्म की कहानि बाता रहे है।
तुमपर हुये अत्याचार की निसानी दिखा रहे है।।
माँ फिर भी पापा से कहो न मुझे भी पैदा होना है।।
इस प्यारी सी दुनिया को देखना है माँ।।
मुझसे मेरा अधिकार मत छिनो,मुझसे मेरा परिवार मत छिनो।।
ए जालिम दुनिया वालो मुझे पैदा होने दो।।।
मुझे पैदा होने दो।।
घूमते घूमते याद आ गए मुझे बचपन के वो पल। आज की ही मस्ती होती थी,न चिंता थी खुदा जाने क्या होगा कल।। रोते थे तो सर पे होता था माँ का साया । बचपन में सब के लाडले होते थे,भले ही बड़े होने पर पैसो ने बना दिया उनको पराया।। ना वक़्त की कमी थी;ना थी खाने की चिंता। अगर अच्छे संस्कार ना होते तो अभी इतना सूंदर भविष्य बनता।। सुबह की वो भागा दौड़ी , जब माँ हमें छोड़ आती आंगनबाड़ी। रोते थे वापस आके सोने के लिए मिलती माँ की फूलो से भरी आँचल वाली प्यारी से साड़ी।। याद आते है बचपन की वो पल जब खेला करते थे सबके साथ लुका छिपी। लूडो खेलते अपनी चाल के साथ की वो थोड़ी बईमानी।। बचपन की वो आज़ादी ,वापस अगर आ जाए तो कुर्बान कर दू उसपे सारी ज़िंदगानी।। याद आते है वो तलाब में नहाना । रात को किसी के भी घर पे खाना ।। याद आते है... मौसी की प्यारी सी फटकार। नानी की ढेर सारी दुलार।। मामा की गुस्सों का डर। चाचा को जो होती हमारी फिकर।। याद आ गया बचपन का वो यार । मस्ती से भरा बचपन का पिटारा।। अपनों का सहारा । बचपन की सारी मस्तियाँ। याद आ गया दोस्त के पैर में किया वो वो दर्दनाक
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