तुझसे मिलकर मैं पहली बार हँसा बिना तेरे मैं मैंने सिखा रोने।। तूने मेरे खाव्बो को पंख दिए माँ बिना तेरे दुनिया ने दुःख क्या कम दिए मैं ही था एक नादाँन परिंदा बिना तेरे दुनिया में ख़ुशी ढूंढी थी।। आज भी पछताता हु मैं अपनी उस गलती पे निकाल बहार किया जो तुझे किया घर से।। न पछताया न घबराया अपने उस फैसले से।। डर न लगा तुझसे दूर होने के फैसले से।। आज पछताता हु माँ जब भी तेरा चेहरा सामने आता है।। वो तबाही का मंजर मुझे हर वक़्त सताता है।। माफ़ करना माँ मुझे ,मेरे इस गलती के लिए गम में कटे तेरे उस पल के लिए।। शायद मेरे विचारो में कोई कमी थी।। बिना तेरे न मेरी ज़िन्दगी थी ,न है , न रहेगी।। 29/03/2016