हर दुःख सुख में हम रहते लोगो के साथ..
वो चैन की नींद सोये इसलिए हम न सोते है।।
हर दिन अपनी ड्यूटी करते
अपने देश के रक्षा के लिए हम ही घर मे दुश्मन के हाथो मरते।
तुम होली मानते दीवाली के दिए जलाते प्यार के गीत गाते।।
तुम्हारी ख़ुशी के लिए घर से बाहर बिताते हम दीवाली की राते।।
जब हम में से कोई शहीद होता है ।
मेरे परिवार के साथ हर कोई रोता है।।
देखो न हमें यु डर भरी निग़ाहों से ।
हम तुम्हारे रक्षक है हर वक़्त तुम्हे महफूज़ रखेंगे तुम्हे कातिलो की यातनाओ से।।
नया साल में जब तुम अपने परिवार के साथ ख़ुशी मानते हो।।
तुम्हारी ख़ुशी के लिए हम रात भर तलासी पर जाते है।।
बस यही आशा है तुम भाई बहन और परिवार के साथ हमारा साथ देंगे ।
तभी तो मिल के हम क्राइम फ्री भारत बनायँगे।।
तुम्हारे सपोर्ट की तलाश में अपना पुलिस परिवार।।
जय हिन्द
दो गज की ज़मीं थी कफ़न था तिरंगा।। आँखों में नमी थी ,छाती था खून से रंगा।। हार जीत की न कोई वजह बाकि थी,न था कोई पंगा।। न बाकि था निपटाने के लिए कोई दंगा।। शहीद का साथ जुड़ा , मिल गया साहस का चमन। लौट के न आया फिर मैं, तो रूठ गया ये वतन।। खून बहा कर लिया जो पाकिसातनियो ने मज़ा।। आत्मा मेरी पूछ रही किस बात की मिली मुझे सजा।। न मैंने किसी का भाई मारा न किसी का बेटा।। फिर भी क्यों रो रहा फफक फफक कर मेरा बेटा।। मुझे कुछ नहीं एक जवाब चाहिए।। इस सोई हुई सरकार से एक हिसाब चाहिए।। कौन लौटायगा मेरे परिवार को बीते हुए कल ।। कौन संवरेगा मेरे परिवार का आने वाला कल।। मुझे कुछ नहीं मुझे इन्साफ चाहिए।। बस मेरी मौत का मुझे इन्साफ चाहिए।।अमित पटेल
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